पंडरिया शक्कर कारखाना में श्रमिकों का फूटा आक्रोश, कारखाना प्रबंधन की मनमानी के खिलाफ सैकड़ों श्रमिकों ने किया अनिश्चितकालीन हड़ताल का आगाज़

“चहेतों को कुर्सी, कर्मठों को बेरोजगारी — नहीं सहेगा अब मज़दूर समाज अन्याय की यह सत्ता!”
कवर्धा | कबीरधाम जिले के प्रतिष्ठित लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल सहकारी शक्कर कारखाना, पंडरिया में श्रमिकों के सब्र का बांध आखिर टूट गया। वर्षों से पसीना बहाकर उत्पादन को गति देने वाले करीब 250 श्रमिकों को कार्य से बाहर का रास्ता दिखा देने के खिलाफ श्रमिकों ने मोर्चा खोल दिया है।
श्रमिक कल्याण संघ के नेतृत्व में परसवारा मेन गेट के पास सैकड़ों श्रमिक नारेबाजी, विरोध और भूख हड़ताल पर डटे हैं और कारखाना प्रबंधन की तानाशाही, पक्षपात और चुप्पी पर सवाल उठा रहे हैं।
श्रमिकों की पीड़ा — सालों की सेवा का मिला अन्यायपूर्ण इनाम
संघ के अध्यक्ष रमाशंकर विश्वकर्मा, सचिव अजय बंजारे और प्रवक्ता संतराम वर्मा ने बताया कि प्रतिवर्ष की भांति इस बार भी श्रमिक 1 जुलाई से कार्य पर लौटने की प्रतीक्षा में थे, लेकिन 11 जुलाई बीत जाने के बावजूद उन्हें बुलाया तक नहीं गया। उन्हें बिना किसी नोटिस के कार्य से हटा दिया गया, जो न केवल मानवाधिकारों का उल्लंघन है बल्कि गरीब श्रमिक वर्ग की रोज़ी-रोटी पर सीधा प्रहार है।
कारखाना प्रबंधन पर गंभीर आरोप – “चहेतों को चढ़ाया जा रहा तरक्की की सीढ़ी”
श्रमिकों का आरोप है कि कारखाना प्रबंधन ने न्याय और योग्यता की अनदेखी कर, अपने चहेते फर्जी डिग्रीधारी और ठेका एजेंसी ओम इंटरप्राइजेस के लोगों को नियुक्त किया है।
वहीं वास्तविक रूप से प्रशिक्षित, अनुभवी और निष्ठावान श्रमिकों को बेमियादी बेरोजगारी में झोंक दिया गया। यह घोर अन्यायपूर्ण और विद्रूप स्थिति है, जो न केवल श्रमिकों के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचा रही है, बल्कि एक सार्वजनिक संस्था की विश्वसनीयता पर भी प्रश्नचिन्ह लगा रही है।
प्रशासन की खामोशी – निंदनीय और दुर्भाग्यपूर्ण
श्रमिकों ने बताया कि इस अन्याय के खिलाफ कलेक्टर, स्थानीय विधायक और अन्य जिम्मेदार अधिकारियों से बार-बार गुहार लगाई गई, लेकिन आज तक न कोई सुनवाई हुई, न समाधान।
ऐसे में उन्होंने आंदोलन का रास्ता अपनाया है, जो अब थमने वाला नहीं।
श्रमिक संघ ने चेतावनी दी है कि अगर शीघ्र ही 250 निष्कासित श्रमिकों को कार्य पर वापस नहीं लिया गया, तो आंदोलन और उग्र रूप लेगा —
- कारखाना घेराव
- चक्का जाम
- अर्धनग्न प्रदर्शन
- सांकेतिक नाट्य व आमरण अनशन
जैसे कदम उठाए जाएंगे, जिसकी पूर्ण जिम्मेदारी कारखाना प्रबंधन व शासन-प्रशासन की होगी।
“मेहनतकशों की आह अब संघर्ष का उद्घोष बनेगी”
कारखाने के सामने डटे सैकड़ों श्रमिकों की आंखों में आक्रोश है, पीड़ा है, लेकिन सबसे ऊपर है आत्मसम्मान।
संघ का कहना है कि जब तक उन्हें न्याय नहीं मिलेगा, तब तक यह आंदोलन अनवरत जारी रहेगा।
“हमारी चुप्पी को कमजोरी समझने की भूल मत कीजिए – अब मज़दूर जाग गया है और अन्याय के खिलाफ आर-पार की लड़ाई लड़ने को तैयार है।”
भूख हड़ताल पर शामिल प्रमुख पदाधिकारी व सदस्य:
रमाशंकर विश्वकर्मा, अशोक बंजारे, अजय बंजारे, संतराम वर्मा, मेलन मानिकपुरी, सत्यप्रकाश मानिकपुरी, अश्वनी साहू, बिसेन साहू, जागेश्वर कुर्रे, रामझूल चंद्रवंशी, मुकेश यादव, अमर बंधवे, शिवकुमार निषाद, मो. जुनैद खान, अजय धुर्वे, नंदकुमार चंद्राकर, योगेश साहू, भरत लाल यादव एवं अन्य सैकड़ों कर्मठ श्रमिक।