भोरमदेव महोत्सव में अव्यवस्थाओं को लेकर प्रशासन पर उठे सवाल, पुलिस की निष्क्रियता पर नाराजगी

कवर्धा, छत्तीसगढ़। ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व रखने वाला भोरमदेव महोत्सव इस वर्ष भी भव्य तरीके से मनाया गया, लेकिन आयोजन के दौरान प्रशासनिक अव्यवस्था और पुलिस की निष्क्रियता ने कार्यक्रम की गरिमा को धूमिल कर दिया। भारी भीड़ को संभालने में प्रशासन पूरी तरह विफल रहा, जिससे आयोजन स्थल पर अफरा-तफरी का माहौल बन गया।
प्रशासन की चूक: भीड़ नियंत्रण में नाकामी
हर साल की तरह इस बार भी भोरमदेव महोत्सव में स्थानीय लोगों के अलावा अन्य राज्यों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक पहुंचे थे। इसके बावजूद, भीड़ नियंत्रण के पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए।
- आयोजन स्थल पर पुलिस द्वारा लगाए गए बैरिकेड्स भीड़ के दबाव में टूट गए, लेकिन पुलिस मूकदर्शक बनी रही।
- पुलिस और प्रशासन की निष्क्रियता के कारण लोग मंच के पास तक पहुंच गए, जिससे सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े हो गए।
अराजकता: कुर्सियां तोड़ी गईं, पुलिस बनी रही मूकदर्शक
स्थिति तब और बिगड़ गई जब कुछ असामाजिक तत्वों ने पुलिस के सामने ही कुर्सियां तोड़ दीं।
- इस दौरान माहौल तनावपूर्ण हो गया, लेकिन पुलिस ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।
- कुछ जगहों पर झड़पें भी हुईं, मगर स्थिति को नियंत्रित करने के बजाय पुलिस मूकदर्शक बनी रही।
- स्थानीय नागरिकों ने सुरक्षा प्रबंधों की कमी पर नाराजगी जताई।
प्रशासन की जवाबदेही पर सवाल
भोरमदेव महोत्सव की अव्यवस्थित सुरक्षा व्यवस्था ने प्रशासन की कार्यशैली को कटघरे में खड़ा कर दिया है।
- क्या प्रशासन को पहले से भीड़ का अनुमान नहीं था?
- जब सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम नहीं थे, तो इतनी भीड़ को क्यों आने दिया गया?
- पुलिस ने बैरिकेड टूटने और अराजकता फैलने के बाद भी कार्रवाई क्यों नहीं की?
भविष्य के लिए चेतावनी
यदि प्रशासन अपनी व्यवस्थाओं में सुधार नहीं करता, तो भविष्य में इस तरह की अव्यवस्थाएं और भी बड़े हादसों को जन्म दे सकती हैं।
- प्रशासन को आगामी आयोजनों में भीड़ नियंत्रण के लिए विशेष रणनीति बनानी होगी।
- पुलिस को संवेदनशीलता और तत्परता के साथ कार्य करने के निर्देश दिए जाने चाहिए।
- ऐसे आयोजनों में सीसीटीवी निगरानी, ड्रोन कैमरे और प्रशिक्षित सुरक्षा कर्मियों की तैनाती अनिवार्य की जानी चाहिए।
जनता की मांग: जिम्मेदारों पर कार्रवाई हो
स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने प्रशासन और पुलिस से इस लापरवाही की जिम्मेदारी तय करने और आवश्यक कार्रवाई करने की मांग की है। यदि समय रहते उचित कदम नहीं उठाए गए, तो जनता का विश्वास प्रशासन पर से उठ सकता है।