छत्तीसगढ़ में 50 से अधिक बांग्लादेशी घुसपैठिए गिरफ्तार, 30 को जल्द भेजा जाएगा वापस; सरकार ने जारी किया टोल-फ्री नंबर

रायपुर। छत्तीसगढ़ में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों के खिलाफ प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया है। राज्यभर में अब तक 50 से अधिक बांग्लादेशी घुसपैठिए पकड़े जा चुके हैं। इनमें से पहले चरण में 20 से 30 घुसपैठियों को उनके देश वापस भेजने की प्रक्रिया तेज़ कर दी गई है। गृह मंत्रालय, नई दिल्ली के निर्देशों के बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने दस्तावेजी कार्रवाई प्रारंभ कर दी है, जिसमें नागरिकता की पुष्टि, अदालत में पेशी और निर्वासन की कानूनी प्रक्रिया शामिल है।
रायपुर-दुर्ग क्षेत्र में सर्वाधिक गिरफ्तारी
पुलिस मुख्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, रायपुर, दुर्ग-भिलाई और राजनांदगांव सहित कई जिलों में बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान की गई है। अकेले रायपुर से 16 बांग्लादेशी पकड़े गए हैं, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। बताया गया कि ये सभी टिकरापारा क्षेत्र में किराए के मकानों में रहकर कबाड़ी का काम, ठेला या गुमटी लगाकर जीवनयापन कर रहे थे। इनमें से छह लोगों के खिलाफ पहले ही एफआईआर दर्ज हो चुकी है और वे जेल में हैं। चूंकि मामला कोर्ट में लंबित है, इसलिए इनका निर्वासन फिलहाल स्थगित है।
2 हजार से अधिक की पहचान, टोल-फ्री नंबर जारी
राज्य सरकार ने आम नागरिकों से सहयोग की अपील करते हुए एक टोल-फ्री नंबर 1800-233-1905 जारी किया है, जिस पर संदिग्ध गतिविधियों की सूचना सीधे पुलिस को दी जा सकती है। वर्तमान में राज्य में लगभग 2,000 चिन्हित बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान हो चुकी है, जिन्हें चरणबद्ध तरीके से उनके देश वापस भेजा जाएगा।
यदि किसी संदिग्ध के पास भारतीय दस्तावेज—जैसे आधार कार्ड या मतदाता पहचान पत्र—मिलते हैं, तो उसकी गहन जांच की जाती है। संदेह पुष्ट होने पर विदेशी नागरिक अधिनियम, 1946 और पासपोर्ट अधिनियम, 1920 के तहत मामला दर्ज कर कोर्ट में पेश किया जाता है। बाद में व्यक्ति को जेल या नजरबंदी केंद्र में रखा जाता है। इसके बाद भारत सरकार बांग्लादेशी दूतावास से उस व्यक्ति की नागरिकता की पुष्टि कराती है। जब दूतावास उसे बांग्लादेश का नागरिक मान लेता है, तभी निर्वासन की प्रक्रिया पूर्ण होती है।
फर्जी दस्तावेजों से राज्य में रह रहे थे
जांच में सामने आया है कि कई बांग्लादेशी नागरिक फर्जी दस्तावेजों के जरिए राज्य में वर्षों से रह रहे हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज होते ही मामला कोर्ट में पहुंच जाता है, जिससे निर्वासन प्रक्रिया लंबी हो जाती है। अब सरकार ने ऐसे घुसपैठियों को शरण देने वालों और उनकी मदद करने वालों के विरुद्ध भी कानूनी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
बीते पांच वर्षों के दौरान विभिन्न जिलों से 50 से अधिक बांग्लादेशी नागरिक पकड़े जा चुके हैं। हालांकि, जांच के दौरान कई संदिग्ध लापता भी हो गए हैं। बावजूद इसके, राज्य सरकार और पुलिस विभाग निर्वासन की प्रक्रिया को तेज़ी से आगे बढ़ा रहे हैं।