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कवर्धा में निजी स्कूलों की मनमानी चरम पर, युवा कांग्रेस और एनएसयूआई ने उठाया मुद्दा

पालकों की जेब पर डाका, शासन-प्रशासन मौन

कवर्धा। जिले में संचालित निजी स्कूलों की बेलगाम मनमानी पर एक बार फिर सवाल उठ खड़े हुए हैं। शिक्षा के नाम पर पालकों से अवैध वसूली, महंगी किताबों की अनिवार्यता और मनमानी फीस वृद्धि के खिलाफ अब युवाओं ने मोर्चा खोल दिया है। युवा कांग्रेस और एनएसयूआई ने इस मुद्दे को गंभीर बताते हुए भाजपा सरकार पर निजी स्कूल संचालकों को संरक्षण देने का आरोप लगाया है।

प्रदेश युवा कांग्रेस के सचिव आकाश केशरवानी ने कहा कि कवर्धा जिले के अधिकांश निजी स्कूल संचालक सरकारी नियंत्रण से बाहर होकर खुलेआम लूट की दुकान चला रहे हैं। उन्होंने बताया कि जिले के पालकों ने संयुक्त संचालक, शिक्षा संभाग दुर्ग को लिखित शिकायत सौंपते हुए बताया कि निजी स्कूल संचालक न सिर्फ 10 से 15 प्रतिशत तक फीस में मनमानी वृद्धि कर रहे हैं, बल्कि निजी प्रकाशकों की महंगी किताबें खरीदने के लिए पालकों को मजबूर कर रहे हैं। इसके अलावा स्कूल ड्रेस, जूते-मोजे, टाई, बेल्ट सहित ट्रांसपोर्ट और मेस के नाम पर भी अतिरिक्त शुल्क वसूला जा रहा है।

श्री केशरवानी ने आरोप लगाया कि शासन द्वारा सीबीएसई और छत्तीसगढ़ बोर्ड के स्कूलों के लिए एनसीईआरटी की किताबों के उपयोग का निर्देश होने के बावजूद, स्कूल संचालक निजी प्रकाशकों की पुस्तकें थोपकर कमीशनखोरी कर रहे हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि जब शिकायतों के बावजूद शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन चुप्पी साधे बैठा है, तो क्या यह माना जाए कि निजी स्कूलों को भाजपा सरकार का खुला संरक्षण प्राप्त है?

“मनमानी फीस पर भी शासन चुप”

एनएसयूआई जिलाध्यक्ष शीतेश चंद्रवंशी ने भी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा का “सबका साथ, सबका विकास” सिर्फ एक चुनावी नारा बनकर रह गया है। उन्होंने कहा कि जिले के सरकारी स्कूलों की गिरती हालत ने पालकों को निजी स्कूलों की ओर धकेल दिया है, और अब ये निजी स्कूल संचालक उनकी मजबूरी का फायदा उठाकर लूट मचा रहे हैं।

श्री चंद्रवंशी ने कहा कि पालक अपने बच्चों की बेहतर शिक्षा के लिए हरसंभव प्रयास करते हैं, लेकिन उन्हें न तो सरकारी स्कूलों में गुणवत्ता मिलती है और न ही निजी स्कूलों में राहत। इससे उनका सपना टूटता नजर आ रहा है।

भूपेश सरकार की आत्मानंद योजना को बताया राहतकारी उपाय

पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की आत्मानंद अंग्रेजी और हिन्दी माध्यम स्कूलों की पहल को याद करते हुए आकाश केशरवानी ने कहा कि इस योजना ने लाखों पालकों को राहत दी थी। लेकिन वर्तमान भाजपा सरकार न तो इन स्कूलों की संख्या बढ़ा रही है और न ही सीटों में विस्तार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार वास्तव में पालकों के हित में सोचती, तो आत्मानंद मॉडल को बढ़ावा देती और निजी स्कूलों की मनमानी पर अंकुश लगाती।

फिलहाल प्रशासन की चुप्पी और सरकार की निष्क्रियता ने पालकों को असहाय बना दिया है। युवा कांग्रेस और एनएसयूआई ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही इस विषय पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो वे जन आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे।


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