कवर्धा नगर पालिका चुनाव: किसके सिर सजेगा जीत का ताज? क्या ‘भक्कू भैया’ संभालेंगे कमान?

कवर्धा। नगर पालिका परिषद कवर्धा में अध्यक्ष पद के लिए सियासी घमासान चरम पर है। 27 वार्डों वाली इस नगर पालिका में अध्यक्ष पद पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित है, और यहां मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के बीच नजर आ रहा है। मतदान में अब सिर्फ तीन दिन शेष हैं, और प्रचार अभियान अपने चरम पर पहुंच चुका है। प्रत्याशी घर-घर जाकर मतदाताओं से समर्थन मांग रहे हैं, वहीं पूरे नगर में चुनावी शोरगुल गूंज रहा है।
कांग्रेस और भाजपा में सीधी टक्कर
चुनावी समीकरणों के अनुसार, भाजपा 15 से 17 वार्डों में बढ़त बनाए हुए है, जबकि कांग्रेस को 10 से 12 वार्डों में मजबूत स्थिति में माना जा रहा है। हालांकि, भाजपा प्रत्याशी राजेंद्र चंद्रवंशी के नाम चयन को लेकर पार्टी में असंतोष देखा जा रहा है, जिससे मतदाताओं में नाराजगी का माहौल है। स्थानीय स्तर पर गलत तरीके से नाम चयन किए जाने की चर्चा जोरों पर है, जिसका सीधा असर भाजपा की स्थिति पर पड़ सकता है।
वहीं, कांग्रेस प्रत्याशी संतोष यादव (भक्कू भईया) को नगर के विभिन्न वर्गों का समर्थन मिलता दिख रहा है। उनका सरल, मिलनसार और हंसमुख व्यक्तित्व मतदाताओं के बीच लोकप्रियता बढ़ा रहा है। उन्हें “राजमहल परिवार” से जोड़कर भी देखा जा रहा है, जिसका फायदा कांग्रेस को मिल सकता है।
चुनाव प्रचार अंतिम चरण में
9 फरवरी की शाम को चुनाव प्रचार का शोरगुल थम जाएगा। इस समय तक भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशी पूरी ताकत झोंक चुके होंगे। शहरभर में गाजे-बाजे, भोंपू और नारों की गूंज सुनाई दे रही है। हर प्रत्याशी अपने पक्ष में मतदान सुनिश्चित करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहा है।
भाजपा को असंतोष का नुकसान?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा के आंतरिक असंतोष और उम्मीदवार चयन को लेकर बनी नाराजगी से कांग्रेस को फायदा मिल सकता है। स्थानीय स्तर पर कई लोग भाजपा के फैसले से असहमत नजर आ रहे हैं, जिससे संतोष यादव की जीत की संभावना प्रबल होती दिख रही है।
क्या नगर पालिका में कांग्रेस का कब्जा होगा?
अगर चुनावी चर्चाओं पर भरोसा किया जाए, तो संतोष यादव (भक्कू भईया) की जीत की प्रबल संभावनाएं हैं। उनकी जनप्रियता और भाजपा के आंतरिक मतभेद कांग्रेस के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं। अब देखना होगा कि 10 फरवरी को मतदान और मतगणना के बाद नतीजे क्या तस्वीर पेश करते हैं—क्या भाजपा असंतोष के बावजूद वापसी करेगी, या फिर कांग्रेस संतोष यादव के नेतृत्व में नगर पालिका की सत्ता हासिल करेगी?