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भोरमदेव अभ्यारण्य में मवेशियों की आवाजाही पर वन विभाग की विनम्र अपील


📍 कवर्धा | 7 जुलाई 2025

भोरमदेव अभ्यारण्य क्षेत्र में मानसून के दौरान मवेशियों की चराई वन्यजीवों के लिए खतरे की घंटी बन सकती है। इसी संदर्भ में वन विभाग, कवर्धा ने एक बार फिर ग्रामीणों से सौहार्द्रपूर्ण अपील जारी की है कि वे अपने पालतू मवेशियों को अभ्यारण्य क्षेत्र में न ले जाएं। विभाग ने स्पष्ट किया कि यह मौसम वन्यजीवों के प्रजनन का संवेदनशील काल होता है, जिसमें वे एकांत और शांति की आवश्यकता महसूस करते हैं।


🐃 मवेशियों की उपस्थिति वन्यजीवों के प्राकृतिक व्यवहार को प्रभावित कर रही

हर साल की तरह इस बार भी आसपास के ग्रामीण – विशेषकर बेदरची, सरेखा जैसे गांवों के कुछ पशुपालक – मानसून आते ही अपने मवेशियों को चराने के लिए जंगल की ओर ले जा रहे हैं। हालांकि, वन विभाग ने पूर्व में ही मुनादी और नोटिस जारी कर इस पर रोक की जानकारी दी थी।

हाल ही में ऐसी ही एक घटना में लगभग 200 मवेशी अभ्यारण्य क्षेत्र में प्रवेश कर गए। वन विभाग की टीम ने मौके पर पहुँचकर ग्रामीणों से शांतिपूर्वक संवाद किया, जिसके बाद ग्रामीणों ने मवेशियों को बाहर ले जाने पर सहमति जताई। वन विभाग ने ग्रामीणों के सहयोग की सराहना की है।


🌿 सफारी व इको-पर्यटन पर भी पड़ सकता है असर

भविष्य में भोरमदेव अभ्यारण्य क्षेत्र में इको-पर्यटन और जंगल सफारी जैसी गतिविधियाँ प्रारंभ की जाएंगी। इन योजनाओं के तहत वही रास्ते उपयोग में लाए जाएंगे, जहाँ अभी मवेशियों की आवाजाही देखी जा रही है। मवेशियों की लगातार मौजूदगी से वन्यजीव इन क्षेत्रों से पलायन कर सकते हैं, जिससे न केवल पर्यटन पर असर पड़ेगा, बल्कि वन्यजीवों के निवास, स्वास्थ्य और सुरक्षा भी प्रभावित होगी।


⚠️ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत कार्रवाई की चेतावनी

वन विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि इस अपील की बार-बार अवहेलना की गई, तो भारतीय वन अधिनियम, 1927 और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत विधिसम्मत कार्रवाई की जाएगी।

अभ्यारण्य में मवेशियों की उपस्थिति से न केवल संक्रामक रोगों का खतरा बढ़ता है, बल्कि वन्यजीवों के शिकार की आशंका भी उत्पन्न होती है, जो एक गंभीर चिंता का विषय है।


📣 वन विभाग की अपील – “हमारे जंगलों की सबसे बड़ी ताकत है आपका सहयोग”

वन विभाग, कवर्धा ने सभी ग्रामीणों से एक बार फिर विनम्र अनुरोध किया है कि वे अपने मवेशियों को अभ्यारण्य क्षेत्र में न ले जाकर वन्यजीवों की सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण में भागीदार बनें।

“आइए, मिलकर भोरमदेव अभ्यारण्य को संरक्षित, समृद्ध और भावी पीढ़ियों के लिए जीवंत बनाएं।”


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