
कवर्धा। कबीरधाम जिले में वन भूमि पर बसे बैगा आदिवासी परिवारों को हाल ही में वन विभाग द्वारा भेजे गए नोटिस ने हलचल मचा दी है। सोमवार को बड़ी संख्या में आदिवासी महिलाएं, पुरुष और बच्चे कलेक्टर कार्यालय पहुंचे। यहां उन्होंने राज्यपाल और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर मौजूदा स्थान पर ही बसाहट की अनुमति देने और वन अधिकार पट्टा जारी करने की मांग रखी।

मामला बोड़ला विकासखंड के सरोधा वन परिक्षेत्र से जुड़ा है, जहां नहर किनारे करीब 40 बैगा परिवार लगभग एक दशक से निवास कर रहे हैं। इन परिवारों को नोटिस में मकान खाली करने और पालन न करने पर बुलडोजर कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। इससे ग्रामीणों में भय और असुरक्षा का माहौल बन गया है। उनका कहना है कि अचानक उजाड़े जाने पर उनके बच्चों और बुजुर्गों को भारी संकट का सामना करना पड़ेगा।
आदिवासियों ने बताया कि वे पहले ग्राम पंचायत बांधा के आश्रित ग्राम पंढरीपानी में रहते थे। सरोधा जलाशय का पानी हर बारिश में गांव तक पहुंचकर घरों को डुबो देता था। डूबान क्षेत्र होने के कारण सड़क, बिजली और पेयजल जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं थीं। इलाज के लिए बीमारों को कंधे पर उठाकर मुख्य सड़क तक ले जाना पड़ता था और समय पर उपचार न मिलने से कई लोगों की जान भी चली गई। इन कठिनाइयों से बचने के लिए ही वे मुख्य मार्ग के पास सरोधा गार्डन किनारे आकर बस गए।
बैगा समुदाय का कहना है कि इतने वर्षों तक प्रशासन ने कोई आपत्ति नहीं जताई, लेकिन अब अचानक नोटिस थमाकर विस्थापन का दबाव डाला जा रहा है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे बड़े पैमाने पर विरोध आंदोलन करने को मजबूर होंगे।


