
महाकुंभ 2025 के दौरान संगम के जल की शुद्धता को लेकर विवाद गर्मा गया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की रिपोर्ट में पानी को स्नान के लायक नहीं बताया गया, लेकिन योगी आदित्यनाथ सरकार ने इसे सिरे से खारिज करते हुए पद्मश्री वैज्ञानिक डॉ. अजय कुमार सोनकर की रिपोर्ट पेश की।
🧪 वैज्ञानिक परीक्षण और यूपी सरकार की रिपोर्ट
योगी सरकार ने 20 फरवरी को एक सरकारी विज्ञप्ति जारी कर गंगा जल को न केवल स्नान, बल्कि आचमन (पीने) के लिए भी सुरक्षित बताया।
🔬 वैज्ञानिक परीक्षणों में क्या निकला?
✅ संगम के 5 प्रमुख स्नान घाटों (संगम नोज, अरैल आदि) से पानी के नमूने लिए गए।
✅ लैब में बारीकी से जांच की गई – न तो बैक्टीरिया की वृद्धि हुई, न ही पीएच स्तर में गिरावट आई।
✅ गंगा जल में 1,100 प्रकार के ‘बैक्टीरियोफेज’ वायरस मौजूद हैं, जो हानिकारक बैक्टीरिया को खत्म करते हैं।
✅ पीएच स्तर 8.4 से 8.6 पाया गया, जो सामान्य से भी बेहतर है।
✅ 14 घंटे तक नमूनों की जांच के बावजूद कोई हानिकारक बैक्टीरिया विकसित नहीं हुआ।
🗣️ डॉ. अजय कुमार सोनकर का बयान:
“अगर पानी दूषित होता तो अस्पताल मरीजों से भर जाते, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। गंगा का जल पूरी तरह पवित्र और सुरक्षित है।”
⚠️ CPCB की रिपोर्ट में क्या कहा गया था?
3 फरवरी को CPCB ने अपनी रिपोर्ट NGT को सौंपी, जिसमें संगम के पानी की गुणवत्ता पर सवाल उठाए गए थे।
⚠️ फीकल कोलीफॉर्म (बैक्टीरिया) का स्तर:
📌 मानक – प्रति 100 मिलीलीटर में 2,500 यूनिट से कम होना चाहिए।
📌 14 जनवरी (पहले शाही स्नान) को दीहा घाट पर 33,000 यूनिट दर्ज किया गया – जो तय सीमा से 13 गुना ज्यादा था।
📌 अन्य स्नान स्थलों पर भी मानकों से अधिक प्रदूषण पाया गया।
CPCB की रिपोर्ट सामने आते ही महाकुंभ में स्नान करने वाले श्रद्धालुओं और सरकार के बीच पानी की स्वच्छता को लेकर चिंता बढ़ गई थी।
🚨 यूपी सरकार ने CPCB को दिया करारा जवाब!
CPCB की रिपोर्ट के ठीक एक दिन बाद, सीएम योगी आदित्यनाथ ने इसका पुरजोर खंडन किया और कहा कि महाकुंभ का जल पूरी तरह शुद्ध और सुरक्षित है।
🏛️ सरकार का तर्क:
➡️ गंगा जल में मौजूद नैचुरल वायरस बैक्टीरिया को खत्म कर देते हैं।
➡️ अगर पानी दूषित होता तो अब तक लाखों लोग बीमार पड़ चुके होते।
➡️ सरकारी रिपोर्ट CPCB की रिपोर्ट को गलत साबित करती है।
⚖️ अब आगे क्या? – NGT ने मांगी रिपोर्ट!
🚨 राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने यूपी सरकार को आदेश दिया है कि वह संगम जल की शुद्धता पर एक सप्ताह के भीतर ताजा रिपोर्ट पेश करे।
अब देखना होगा कि CPCB की रिपोर्ट सही साबित होती है या यूपी सरकार की रिपोर्ट।