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रायपुर-विशाखापत्तनम ग्रीन कॉरिडोर में 300 करोड़ का मुआवजा घोटाला: अभनपुर के पूर्व एसडीएम निलंबित, कलेक्टर की जांच रिपोर्ट में बड़े खुलासे

रायपुर। छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) द्वारा निर्मित किए जा रहे रायपुर-विशाखापत्तनम ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे परियोजना में 300 करोड़ रुपये से अधिक के मुआवजा घोटाले का खुलासा हुआ है। इस मामले में सरकार ने अभनपुर के तत्कालीन एसडीएम निर्भय साहू को निलंबित कर दिया है

राजस्व विभाग और रायपुर जिला प्रशासन की जांच में सामने आया कि 50.28 हेक्टेयर भूमि के लिए 248 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया गया, जबकि धमतरी जिले के कुरूद क्षेत्र में 51.97 किलोमीटर सड़क के लिए मात्र 108.75 करोड़ रुपये आवंटित किए गएअभनपुर में मुआवजा 8 गुना तक अधिक दिया गया, जो घोटाले की ओर इशारा करता है।

अब इस मामले में राजस्व विभाग, लोकायुक्त और केंद्रीय एजेंसियों की जांच शुरू हो चुकी है। इस घोटाले से राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है और सरकार पर पारदर्शिता बनाए रखने का दबाव बढ़ गया है।


क्या है रायपुर-विशाखापत्तनम ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे?

  • रायपुर-विशाखापत्तनम ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे भारत सरकार की भारतमाला परियोजना के तहत बन रहा है।
  • इसकी कुल लंबाई 464 किमी होगी, जिसमें 124 किमी छत्तीसगढ़, 240 किमी ओडिशा और 100 किमी आंध्र प्रदेश में आएगा
  • यह 6-लेन एक्सप्रेसवे होगा, जिसे 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य है
  • इस परियोजना के तहत छत्तीसगढ़ में रायपुर, धमतरी और कांकेर जिलों से होकर सड़क निकाली जा रही है।

कैसे हुआ 300 करोड़ का मुआवजा घोटाला?

1. ज़मीन अधिग्रहण के नाम पर हेरफेर

  • रायपुर जिले के अभनपुर और नवा रायपुर क्षेत्र में 50.28 हेक्टेयर भूमि के लिए 248 करोड़ रुपये का मुआवजा बांटा गया, जो सामान्य दर से कई गुना अधिक था।
  • दूसरी ओर, धमतरी जिले के कुरूद में 51.97 किमी सड़क निर्माण के लिए 207.57 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण मात्र 108.75 करोड़ रुपये में हुआ
  • स्पष्ट है कि अभनपुर में अधिग्रहण की प्रक्रिया में हेरफेर कर अधिक मुआवजा बांटा गया

2. छोटे प्लॉट बनाकर मुआवजा बढ़ाने का खेल

  • जांच में सामने आया कि अधिग्रहण से पहले 32 बड़े प्लॉटों को 247 छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटा गया
  • नियमों के अनुसार, 500 वर्गफुट से छोटे प्लॉट को अधिक मुआवजा मिलता है
  • इस तकनीकी खामी का लाभ उठाकर परिवार के हर सदस्य, रिश्तेदारों और यहां तक कि नौकर-चाकरों के नाम पर भी जमीन बांट दी गई
  • इस तरह मुआवजा राशि को 8 गुना तक बढ़ा दिया गया

3. सरकारी जमीन को निजी बताकर मुआवजा लिया

  • 51 हेक्टेयर सरकारी जमीन को निजी संपत्ति के रूप में दिखाया गया और उस पर मुआवजा जारी कर दिया गया।
  • जांच रिपोर्ट में बताया गया कि कई बड़े व्यापारियों और राजनीतिक प्रभावशाली लोगों ने यह जमीन पहले ही खरीद ली थी और अधिग्रहण के बाद करोड़ों रुपये का लाभ लिया।

4. बाजार दर से ज्यादा मुआवजा

  • सरकारी मूल्यांकन के अनुसार, अभनपुर क्षेत्र में भूमि की दर 14 लाख रुपये प्रति एकड़ थी, लेकिन इसे कृत्रिम रूप से बढ़ाकर 28 लाख रुपये कर दिया गया
  • इससे कई लोगों को उनकी वास्तविक संपत्ति से 4 से 8 गुना ज्यादा मुआवजा मिल गया

घोटाले में कौन-कौन शामिल?

  • एसडीएम निर्भय साहू (निलंबित)
  • तहसीलदार और पटवारी (जांच जारी)
  • कई बड़े व्यापारी और बिल्डर जिन्होंने पहले से ही अधिग्रहण क्षेत्र में जमीन खरीद ली थी।
  • स्थानीय नेताओं और अधिकारियों की मिलीभगत से यह घोटाला अंजाम दिया गया।

सरकार की कार्रवाई और जांच का आदेश

  1. अभनपुर के तत्कालीन एसडीएम निर्भय साहू को निलंबित कर दिया गया है
  2. राजस्व विभाग ने विशेष जांच दल (SIT) गठित की है
  3. जिन लोगों को गलत तरीके से अधिक मुआवजा मिला है, उनसे राशि वसूली जाएगी
  4. भू-अर्जन प्रक्रिया की समीक्षा की जाएगी और नियमों में बदलाव किया जा सकता है

विधानसभा में उठा मामला, मंत्री ने दी गलत जानकारी

  • 25 फरवरी को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने यह मामला उठाया और सरकार से जवाब मांगा।
  • राजस्व मंत्री ने जांच रिपोर्ट की जानकारी होने से इनकार कर दिया, जबकि जांच पहले ही पूरी हो चुकी थी।
  • जब रायपुर कलेक्टर की रिपोर्ट सार्वजनिक हुई, तब सरकार को कार्रवाई के लिए मजबूर होना पड़ा

ग्रीन कॉरिडोर परियोजना पर असर

  • इस घोटाले के कारण परियोजना की प्रगति प्रभावित हो सकती है
  • पहले यह 2025 तक पूरा होने की उम्मीद थी, लेकिन अब 2026 तक भी पूरा होना मुश्किल लग रहा है
  • एनएचएआई को अधिग्रहण प्रक्रिया की दोबारा समीक्षा करनी होगी
  • परियोजना की विश्वसनीयता को झटका लगा है और केंद्र सरकार भी इस पर नजर रख रही है

अब आगे क्या होगा?

  • राज्य सरकार और केंद्र सरकार दोनों इस घोटाले की गहराई से जांच कर सकती हैं
  • आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय (ED) भी इसमें शामिल लोगों की संपत्तियों की जांच कर सकते हैं
  • यदि दोष सिद्ध होता है, तो संबंधित अधिकारियों और व्यापारियों की संपत्ति जब्त की जा सकती है
  • भविष्य में भू-अर्जन नियमों को सख्त किया जा सकता है ताकि इस तरह की गड़बड़ियों को रोका जा सके।

निष्कर्ष

रायपुर-विशाखापत्तनम ग्रीन कॉरिडोर परियोजना में 300 करोड़ रुपये के भूमि मुआवजा घोटाले ने छत्तीसगढ़ की प्रशासनिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यदि यह मामला विधानसभा और मीडिया में नहीं उठता, तो यह घोटाला भी अन्य मामलों की तरह दफन हो जाता। अब सरकार पर यह जिम्मेदारी है कि पारदर्शिता सुनिश्चित करे, दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करे और इस तरह की अनियमितताओं को भविष्य में रोकने के लिए नए कानून बनाए

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