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प्रधान पाठक को POCSO एक्ट में 20 साल की सजा, शिक्षा विभाग ने किया तत्काल बर्खास्त”

कवर्धा। गुरु को भारतीय संस्कृति में ईश्वर से भी ऊपर दर्जा दिया गया है, लेकिन जब यही ‘गुरु’ मर्यादा तोड़कर अपराध की सीमाएं लांघता है, तो सिर्फ एक छात्र नहीं, संपूर्ण समाज आहत होता है। ऐसा ही एक हृदयविदारक मामला छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले से सामने आया है, जहाँ एक शिक्षक द्वारा नाबालिग छात्रा के साथ यौन शोषण किए जाने पर उसे विशेष न्यायालय ने कठोर दंड सुनाया है।

20 वर्ष की सजा और जुर्माना

शासकीय प्राथमिक शाला जैतपुरी (विकासखंड कवर्धा) में पदस्थ प्रधान पाठक कुंजबिहारी हाठिले को विशेष न्यायाधीश एफ.टी.एस.सी. कबीरधाम, उदयलक्ष्मी सिंह परमार द्वारा लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम (POCSO Act), धारा C 6 के तहत 20 वर्षों के सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई। न्यायालय ने उन्हें ₹1000 के अर्थदंड से भी दंडित किया है, जिसे अदा न करने की स्थिति में अतिरिक्त छह माह की जेल भुगतनी होगी।

शिक्षा विभाग ने तुरंत की बर्खास्तगी

इस निर्णय के बाद, जिला शिक्षा अधिकारी, कबीरधाम ने दिनांक 22/04/2025 को एक आदेश जारी करते हुए कुंजबिहारी हाठिले को तत्काल प्रभाव से पदच्युत (Dismiss) कर दिया। आदेश में कहा गया है कि “आपराधिक प्रकरण में दोष सिद्ध होने के कारण उनका आचरण छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 की धारा 03 (1)(1) एवं 03 (1)(3) के अंतर्गत गंभीर कदाचार की परिधि में आता है।” उन्हें अब केवल जीवन निर्वाह भत्ता अंतिम भुगतान तक सीमित रहेगा।

गुरु की गरिमा पर धब्बा

यह मामला केवल कानूनी नहीं, नैतिक विघटन का भी उदाहरण है। “गुरु गोविंद दोऊ खड़े…” जैसी आदर्श पंक्तियाँ तब व्यर्थ प्रतीत होती हैं जब कोई शिक्षक अपने पद की गरिमा को धूल में मिला देता है। ऐसे मामलों में दंड के साथ-साथ सामाजिक चेतना और विद्यालयी संरचनाओं में कठोर निगरानी की आवश्यकता है।

क्या कहता है समाज?

समाजसेवियों और शिक्षाविदों का कहना है कि ऐसे मामलों में केवल दंड ही नहीं, विद्यालयों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर स्पष्ट और कड़ा तंत्र बनाना होगा। बच्चों को जागरूक करने, शिकायत दर्ज करने के सुरक्षित माध्यम और संवेदनशील पर्यवेक्षण की अब अत्यंत आवश्यकता है।

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