
BJP का दावा – “केजरीवाल ने किया सरकारी अकाउंट का निजी इस्तेमाल!”
नई दिल्ली। दिल्ली की राजनीति में एक नया विवाद सामने आया है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने आम आदमी पार्टी (AAP) पर “डिजिटल लूट” का गंभीर आरोप लगाते हुए उपराज्यपाल से इसकी शिकायत करने की तैयारी की है। भाजपा का दावा है कि दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पार्टी ने CMO दिल्ली के आधिकारिक X (ट्विटर) अकाउंट का नाम बदलकर ‘अरविंद केजरीवाल एट वर्क’ कर दिया।
इतना ही नहीं, BJP ने AAP पर दिल्ली सरकार के आधिकारिक यूट्यूब चैनल से कई सरकारी कार्यक्रमों और विधानसभा सत्रों की वीडियो डिलीट करने का भी आरोप लगाया है। भाजपा नेताओं ने इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।
“सरकारी संपत्ति का निजी इस्तेमाल – सीधा डिजिटल घोटाला!” – वीरेंद्र सचदेवा
इस मामले में दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा,
“चोरी और सीनाजोरी! CMO दिल्ली का आधिकारिक अकाउंट मुख्यमंत्री के लिए होता है, जो भी मुख्यमंत्री होता है, वह इसे संभालता है। लेकिन अरविंद केजरीवाल ने इसे अपना निजी अकाउंट बना लिया। इस अकाउंट के लाखों फॉलोवर्स थे, जो दिल्ली सरकार को फॉलो कर रहे थे, न कि किसी एक नेता को। इसे इस तरह टेकओवर करना डिजिटल घोटाले से कम नहीं!”
उन्होंने आगे कहा कि BJP इस मामले में उपराज्यपाल से मिलकर FIR दर्ज कराने और दिल्ली सरकार के IT विभाग की विस्तृत जांच की मांग करेगी।
“केजरीवाल डिजिटल लूटेरे बन गए हैं!” – BJP का हमला
BJP ने केजरीवाल सरकार पर पहले भी कई घोटालों के आरोप लगाए हैं, जिनमें शराब घोटाला, जल बोर्ड घोटाला और शिक्षा घोटाला शामिल हैं। इस बार पार्टी ने इसे “डिजिटल लूट” करार दिया है।
वीरेंद्र सचदेवा ने कहा,
“केजरीवाल सरकार के पिछले 10 सालों में घोटालों की भरमार रही है। अब जब उनकी सच्चाई उजागर हो रही है, तो वे डिजिटल माध्यमों से सबूत मिटाने में लगे हैं। हम मांग करते हैं कि इस मामले की गहराई से जांच हो और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए!”
“YouTube से वीडियो डिलीट कर जनता की आंखों में धूल झोंक रही AAP” – बिजेंद्र गुप्ता
BJP के वरिष्ठ नेता बिजेंद्र गुप्ता ने AAP सरकार पर YouTube से वीडियो हटाने का आरोप लगाया। उन्होंने ट्वीट किया,
“केजरीवाल सरकार की नाकामियों की पोल खुलने से बचने के लिए AAP ने दिल्ली सरकार के आधिकारिक यूट्यूब चैनल से कई वीडियो हटा दिए। इसमें विधानसभा सत्रों और सरकारी योजनाओं के वीडियो भी शामिल हैं। जो केजरीवाल कभी पारदर्शिता की बात करते थे, वही अब अपनी असफलताओं को छिपाने के लिए डिजिटल रिकॉर्ड मिटवा रहे हैं।”
उन्होंने इसे जनता के साथ विश्वासघात करार दिया और मांग की कि AAP सरकार इस पर जवाब दे।
AAP की चुप्पी – क्या है सच्चाई?
इस पूरे विवाद पर AAP की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। लेकिन इस डिजिटल उठापटक ने दिल्ली की राजनीति में नया बवाल खड़ा कर दिया है।
अब देखना यह होगा कि उपराज्यपाल इस मामले में क्या कदम उठाते हैं और क्या भाजपा की मांग पर कोई कानूनी कार्रवाई होती है? या फिर AAP इस विवाद को एक राजनीतिक स्टंट करार देते हुए बच निकलती है?
फिलहाल, दिल्ली की राजनीति में “डिजिटल लूट” का मुद्दा गर्मा गया है और इसकी गूंज जल्द ही सड़कों और सदन तक पहुंच सकती है!