भावना बोहरा का सरकार पर प्रहार: “जनसंपर्क विभाग के करोड़ों के खर्च की हो जांच!”

छत्तीसगढ़ विधानसभा सत्र के दौरान पंडरिया विधायक भावना बोहरा सक्रियता के साथ जनहित के प्रमुख मुद्दों को उठा रही हैं। इस क्रम में उन्होंने आदिवासी भूमि विक्रय, जनसंपर्क विभाग में विज्ञापन खर्च, शासकीय स्कूलों में शिक्षकों के रिक्त पदों, और इलेक्ट्रिक वाहनों पर सब्सिडी के मुद्दों पर सरकार से जवाब मांगा।
1. आदिवासी भूमि विक्रय की अनुमति पर सवाल
विधायक भावना बोहरा ने राजस्व मंत्री टंक राम वर्मा से पूछा कि कबीरधाम जिले में अनुसूचित जनजातियों (आदिवासियों) की भूमि बिक्री की अनुमति के लिए 2021-22 से 2024-25 (31 जनवरी 2025 तक) कितने आवेदन प्राप्त हुए और कितनों को स्वीकृति दी गई?
राजस्व मंत्री ने दिए निम्नलिखित जवाब:
- 2021-22: कुल 76 आवेदन, जिसमें से 16 को अनुमति दी गई।
- 2022-23: कोई आवेदन प्राप्त नहीं हुआ।
- 2023-24: कुल 2 आवेदन, परंतु कोई अनुमति नहीं दी गई।
- 2024-25: कुल 40 आवेदन, लेकिन एक भी अनुमति नहीं दी गई।
विधायक ने आगे सवाल किया कि क्या बिना न्यायालय की अनुमति के तहसीलदारों ने आदिवासी भूमि की बिक्री की अनुमति दी? इस पर मंत्री ने जवाब दिया कि ऐसा कोई मामला दर्ज नहीं हुआ।
2. शासकीय स्कूलों में शिक्षकों की कमी
भावना बोहरा ने शिक्षा के गिरते स्तर पर चिंता व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से निम्नलिखित सवाल किए:
- प्रदेश में कितने शासकीय शिक्षकों के पद रिक्त हैं?
- ऐसे कितने विद्यालय हैं जहां एक या उससे कम शिक्षक हैं?
- 33,000 शिक्षकों की भर्ती और बर्खास्त सहायक शिक्षकों पर सरकार की क्या योजना है?
मुख्यमंत्री का जवाब:
- कुल रिक्त पद: 56,601 शिक्षक पद खाली हैं।
- एकल शिक्षक विद्यालय: 5,912 स्कूलों में सिर्फ एक शिक्षक हैं।
- शिक्षकविहीन विद्यालय: 439 स्कूलों में कोई शिक्षक नहीं है।
- 33,000 शिक्षकों की भर्ती: इस पर अभी विचार चल रहा है।
- बर्खास्त सहायक शिक्षकों का मुद्दा:
- उनकी पुनर्नियुक्ति की संभावनाओं पर विचार करने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति गठित की गई है।
3. जनसंपर्क विभाग में विज्ञापन खर्च में अनियमितता
भावना बोहरा ने जनसंपर्क विभाग में सरकारी विज्ञापन खर्च को लेकर सवाल किया:
- प्रदेश में कितने समाचार पोर्टल पंजीकृत हैं?
- वर्ष 2023-24 और 2024-25 में डिजिटल पोर्टल, समाचार पत्र, टीवी और रेडियो में कितनी राशि खर्च हुई?
- विज्ञापन के नियमों में पिछले एक वर्ष में कोई बदलाव हुआ है या नहीं?
मुख्यमंत्री का जवाब:
- न्यूज पोर्टल्स का पंजीकरण: जनसंपर्क विभाग न्यूज पोर्टल्स का पंजीकरण नहीं करता बल्कि इम्पैनलमेंट (Empanelment) करता है।
- कुल इम्पैनल पोर्टल: 243 डिजिटल समाचार पोर्टल इम्पैनल हैं, कोई राष्ट्रीय पोर्टल इम्पैनल नहीं है।
- वित्तीय वर्ष 2023-24 में खर्च:
- डिजिटल पोर्टल्स: ₹67.16 करोड़
- समाचार पत्र: ₹147.36 करोड़
- टीवी चैनल: ₹140.93 करोड़
- रेडियो विज्ञापन: ₹5.29 करोड़
- वित्तीय वर्ष 2024-25 (31 जनवरी 2025 तक) में खर्च:
- डिजिटल पोर्टल्स: ₹13.16 करोड़
- समाचार पत्र: ₹59.20 करोड़
- टीवी चैनल: ₹58.52 करोड़
- रेडियो विज्ञापन: ₹2.71 करोड़
- विज्ञापन नियमावली: 2019 में बनी थी, 2020 में संशोधन हुआ, पिछले एक वर्ष में कोई बदलाव नहीं हुआ।
भावना बोहरा की आपत्ति:
- पूर्ववर्ती सरकार ने एक ही साल में विज्ञापन खर्च को दोगुना कर दिया, यह जनता के पैसे का दुरुपयोग है, इसकी जांच होनी चाहिए।
- होर्डिंग्स के अनुबंध में घोटाला:
- 3 महीने के लिए अनुबंधित होर्डिंग्स को 1 महीने में हटा दिया जाता है, लेकिन पूरे 3 महीने का भुगतान किया जाता है।
- विधायक ने होर्डिंग भुगतान की जांच की मांग की।
- क्या 243 पोर्टल्स को इम्पैनल करने के लिए 243 टेंडर जारी किए गए थे?
- सरकार ने स्पष्ट किया कि सभी 243 पोर्टल्स के लिए टेंडर जारी किए गए।
- होर्डिंग भुगतान पर जानकारी मिलने पर जांच कराई जाएगी।
4. इलेक्ट्रिक वाहनों पर सब्सिडी
भावना बोहरा ने इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर सरकार से पूछा:
- राज्य सरकार द्वारा इलेक्ट्रिक वाहनों पर कितनी सब्सिडी दी जा रही है?
- 2020-21 से 2024-25 तक कितने लाभान्वित हुए?
- कितनी सब्सिडी अभी तक लंबित है?
- क्या सरकार इसे जल्द पूरा करने की योजना बना रही है?
सरकार का जवाब:
- छत्तीसगढ़ इलेक्ट्रिक वाहन नीति 2022 के तहत:
- दो-पहिया और चार-पहिया वाहनों के मूल्य का 10% या ₹1.50 लाख (जो भी कम हो) सब्सिडी दी जाती है।
- 2020-21 से 31 जनवरी 2025 तक:
- 28,248 लोगों को सब्सिडी का लाभ मिला।
- लगभग 45,000 इलेक्ट्रिक वाहन सब्सिडी भुगतान के लिए लंबित हैं।
- लंबित सब्सिडी:
- वित्त विभाग को प्रस्ताव भेजा गया है, लेकिन अभी तक कोई निश्चित समयसीमा तय नहीं की गई।
भावना बोहरा की विधानसभा में सक्रियता
विधायक भावना बोहरा विधानसभा में जनहित के मुद्दों को प्रभावी ढंग से उठा रही हैं।
- आदिवासी भूमि संरक्षण,
- शिक्षा व्यवस्था में सुधार,
- विज्ञापन में अनियमितताओं की जांच,
- इलेक्ट्रिक वाहन सब्सिडी के शीघ्र भुगतान जैसे विषयों पर सरकार से जवाब मांगना उनकी सक्रियता को दर्शाता है।
उनकी मांगें:
- आदिवासी भूमि संरक्षण के लिए सख्त नियम लागू हों।
- स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती जल्द पूरी हो।
- सरकारी विज्ञापन खर्च और होर्डिंग्स घोटाले की जांच कराई जाए।
- इलेक्ट्रिक वाहन सब्सिडी जल्द जारी की जाए।