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RBI ने बैंकों के लिए मार्च तक ट्राई की MNRL टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना किया अनिवार्य, साइबर फ्रॉड पर नजर

भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई ने हाल ही में बैंकों को मार्च 2025 तक डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) की MNRL लिस्ट का इस्तेमाल करने का निर्देश दिया है। इससे फ्रॉड के जोखिम की निगरानी और रोकथाम को बढ़ाया जा सकेगा। इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक, संचार मंत्रालय की तरफ से डेवलप की गई इस टेक्नोलॉजी से बैंक खातों को मनी म्यूल के रूप में संचालित होने और/या साइबर धोखाधड़ी में शामिल होने से रोका जा सकता है।

 केंद्रीय बैंक ने किया स्वीकार

खबर के मुताबिक, आरबीआई का कहना है कि मोबाइल नंबर का दुरुपयोग ऑनलाइन और दूसरी धोखाधड़ी करने के लिए किया जा सकता है। केंद्रीय बैंक ने यह भी स्वीकार किया कि मोबाइल नंबर एक ‘सर्वव्यापी पहचानकर्ता’ के रूप में उभरा है। इसका दुरुपयोग धोखेबाजों द्वारा अलग-अलग प्रकार के ऑनलाइन और दूसरी धोखाधड़ी करने के लिए हो सकता है। ऐसे में ट्राई की एमएनआरएल तकनीक से काफी मदद मिल सकती है। आरबीआई ने धोखाधड़ी में भी वृद्धि को गंभीर चिंता का विषय बताया है। ग्राहक का मोबाइल नंबर ओटीपी, लेनदेन अलर्ट, खाता अपडेट आदि के प्रमाणीकरण का जरिया बनता है।

क्या है ये MNRL टेक्नोलॉजी

ट्राई की एमएनआरएल टेक्नोलॉजी वित्तीय धोखाधड़ी से निपटने का एक नया उपाय है। खास तौर पर मोबाइल नंबर और मनी म्यूल से जुड़ी धोखाधड़ी से निपटने के लिए। इस निर्देश का मकसद डिजिटल लेनदेन की सुरक्षा को बढ़ाना और धोखाधड़ी वाली गतिविधियों में मोबाइल नंबरों के दुरुपयोग को रोकना है। एमएनआरएल अनिवार्य रूप से उन मोबाइल नंबरों के बारे में जानकारी की एक लिस्ट है जिन्हें स्थायी रूप से डिस्कनेक्ट या रिजेक्ट कर दिया गया है।

इस सूची में वे नंबर हैं जो नकली या जाली दस्तावेजों का उपयोग करके हासिल किए गए थे। साइबर अपराध या वित्तीय धोखाधड़ी में शामिल थे। नागरिकों द्वारा रिपोर्ट किए गए और रीवेरिफिकेशन में विफल रहे। धोखाधड़ी विश्लेषण के कारण दूरसंचार सेवा प्रदाताओं द्वारा डिस्कनेक्ट किए गए। अन्य संगठनों द्वारा दुरुपयोग के लिए रिपोर्ट किए गए और लंबे समय तक निष्क्रिय रहे।

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