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कबीरधाम: चिल्फी में फर्जी डॉक्टर का खुलासा, जिलेभर में झोलाछाप डॉक्टरों का जाल – स्वास्थ्य विभाग बना मूकदर्शक

कवर्धा। कबीरधाम जिले के चिल्फी क्षेत्र से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहाँ बंगाली मूल का एक व्यक्ति बिना किसी मेडिकल डिग्री के वर्षों से खुद को डॉक्टर बताकर इलाज कर रहा है। यह फर्जी डॉक्टर केवल सामान्य बीमारियों का ही नहीं, बल्कि गर्भपात जैसे संवेदनशील मामलों में भी अवैध रूप से लिप्त है, जो कानूनन अपराध है।

झोलाछाप डॉक्टरों से पटे ग्रामीण इलाके

यह मामला अकेला नहीं है। पूरे कबीरधाम जिले में झोलाछाप डॉक्टरों का भरमार है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में बिना किसी मान्यता और अनुभव के अवैध क्लीनिक चला रहे हैं। न इनके पास डिग्री है, न पंजीयन, फिर भी ये “डॉक्टर” बनकर खुलेआम लोगों की जान से खेल रहे हैं।

ग्रामीण इलाकों में ये झोलाछाप डॉक्टर “सस्ता इलाज” के नाम पर लोगों को आकर्षित करते हैं, लेकिन बिना विशेषज्ञता के दिया गया इलाज कई बार जानलेवा साबित होता है। स्वास्थ्य के नाम पर ये लोग न केवल कानून तोड़ रहे हैं, बल्कि इंसानियत के खिलाफ अपराध भी कर रहे हैं।

स्वास्थ्य विभाग की चुप्पी – लापरवाही या संरक्षण?

सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि इन सभी गतिविधियों की जानकारी स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन को पहले से है, इसके बावजूद न तो क्लीनिक सील किए गए, न ही किसी के खिलाफ एफआईआर हुई। जिला मुख्यालय में बैठे स्वास्थ्य अधिकारी शिकायतें मिलने के बाद भी कार्रवाई से कतरा रहे हैं, जिससे पूरे सिस्टम की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं।

महिलाओं और बच्चों के लिए गंभीर खतरा

गर्भवती महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों का इलाज इन फर्जी डॉक्टरों के हाथों में जाने से स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं और मृत्यु तक की आशंका बनी रहती है। यह मामला सिर्फ चिकित्सा नियमों का उल्लंघन नहीं, बल्कि जनजीवन की सुरक्षा से समझौता है।

हैवी डोज का अंधाधुंध प्रयोग – जानलेवा साबित हो रहा झोलाछाप इलाज

इन फर्जी डॉक्टरों द्वारा इलाज में क्षमता से अधिक और अनियंत्रित मात्रा में दवाओं का प्रयोग किया जा रहा है। बिना पर्याप्त चिकित्सा सुविधा और विशेषज्ञता के ये झोलाछाप तथाकथित डॉक्टर भारी डोज की दवाएं मरीजों को दे देते हैं, जिससे मरीज का स्वास्थ्य सुधरने के बजाय और ज्यादा बिगड़ जाता है। कई बार गलत इलाज के चलते मरीज की स्थिति गंभीर हो जाती है, और मौत जैसी घटनाएं भी सामने आ चुकी हैं। यह लापरवाही स्वास्थ्य से खिलवाड़ ही नहीं, बल्कि मानव जीवन के प्रति अपराध है।

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