कवर्धा में RTI कानून की धज्जियां! वन परिक्षेत्र अधिकारी ने पारदर्शिता पर लगाया ताला

कवर्धा। जिले में शासकीय कार्यालयों में सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 (RTI Act) की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। इसका जीता-जागता उदाहरण वन परिक्षेत्र कार्यालय, कवर्धा में देखने को मिला, जहां सूचना मांगने वाले आवेदक को महीनों से परेशान किया जा रहा है।
सरकारी धन के दुरुपयोग को छुपाने का खेल?
वन परिक्षेत्र कार्यालय, कवर्धा के तत्कालीन जन सूचना अधिकारी लक्ष्मी नारायण सोनी पर आरोप है कि वे RTI अधिनियम के तहत मांगी गई जानकारी देने से लगातार इनकार कर रहे हैं। आवेदक ने वर्ष 2024 में रोकड़ बही, बिल वाउचर और प्रमाणक के अवलोकन के लिए आवेदन दिया था, लेकिन आज तक उसे कोई जानकारी नहीं दी गई।
ऐसे अधिकारी सरकारी कार्यालयों को अपनी जागीर समझ बैठे हैं, जहां पारदर्शिता के बजाय भ्रष्टाचार को ढाल बनाकर मनमानी की जा रही है। सरकारी पैसों के बंदरबांट को छुपाने के लिए RTI के तहत जानकारी दबाने की रणनीति अपनाई जा रही है, ताकि अनियमितताओं पर पर्दा डाला जा सके।
सूचना का अधिकार अधिनियम का हो रहा गला घोंट
सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 को जनता को सशक्त बनाने, सरकारी कार्यों में पारदर्शिता लाने और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए बनाया गया था। लेकिन कवर्धा वन परिक्षेत्र कार्यालय में इस कानून को ठेंगा दिखाया जा रहा है।
क्या होगी कार्रवाई?
अब सवाल यह है कि क्या जिम्मेदार अधिकारी इस मामले में कोई सख्त कदम उठाएंगे? यदि सूचना आयोग और उच्च प्रशासन ने संज्ञान नहीं लिया, तो यह मनमानी आगे भी जारी रहेगी और सरकारी कार्यालयों में भ्रष्टाचार की जड़ें और गहरी होती जाएंगी। क्या RTI के तहत सूचना पाने का हक सिर्फ कागजों तक सीमित रहेगा, या भ्रष्टाचारियों पर लगेगा अंकुश?