पीएम श्री जवाहर नवोदय विद्यालय उड़ियाकला में किशोरावस्था जागरूकता कार्यशाला का सफल आयोजन

छात्राओं के आत्मविश्वास और आत्म-सशक्तिकरण की दिशा में एक प्रेरणादायक कदम
कवर्धा। किशोरावस्था— जीवन का एक ऐसा चरण, जहां शरीर, मन और भावनाओं में बदलाव होते हैं। इसी बदलाव को समझने और आत्म-सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से पीएम श्री जवाहर नवोदय विद्यालय उड़ियाकला, कबीरधाम में एक किशोरावस्था जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस कार्यशाला में छात्राओं को किशोरावस्था के मानसिक, शारीरिक, भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक परिवर्तनों के बारे में गहराई से जानकारी दी गई। कार्यक्रम का उद्देश्य छात्राओं को आत्म-जागरूक, आत्मविश्वासी और मानसिक रूप से मजबूत बनाना था।
विषय विशेषज्ञों का बहुमूल्य मार्गदर्शन

इस कार्यशाला में वरिष्ठ विशेषज्ञ श्रीमती दीप्ति बिंदल (राजनांदगांव) ने छात्राओं को महत्वपूर्ण विषयों पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने व्यक्तिगत स्वास्थ्य, स्वच्छता, भावनात्मक सशक्तिकरण और आत्म-छवि के सकारात्मक विकास पर चर्चा की। उन्होंने यह प्रेरक संदेश दिया कि “बालिकाओं में निवेश करना, समाज के उज्जवल भविष्य में निवेश करने के समान है।”
विद्यालय के परामर्श और मार्गदर्शन विभाग की प्रभारी श्रीमती मालाविका किशोर और श्री गोपेन्द्र कुमार ने भी छात्राओं को आत्मनिर्भर बनने, मानसिक संतुलन बनाए रखने और आत्मबल को मजबूत करने के व्यावहारिक सुझाव दिए।
प्राचार्य का प्रेरणादायक संदेश
विद्यालय के प्राचार्य श्री एन. के. लांजेवर ने कार्यशाला की सफलता पर हर्ष व्यक्त करते हुए कहा,
“आज की छात्राओं को सशक्त, आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी बनाना अत्यंत आवश्यक है। यह कार्यशाला इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम रही, जिससे छात्राओं को अपने भविष्य को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखने की प्रेरणा मिली।”
उन्होंने कार्यशाला के सफल आयोजन में योगदान देने वाले श्रीमती दीप्ति बिंदल, श्रीमती मालाविका किशोर, श्री गोपेन्द्र कुमार और पीएम श्री कार्यक्रम के प्रभारी श्री शुभम गर्ग का आभार व्यक्त किया।
छात्राओं में दिखा नया उत्साह
इस कार्यशाला के माध्यम से छात्राओं ने किशोरावस्था के शारीरिक और मानसिक परिवर्तनों को समझने और उनसे प्रभावी रूप से निपटने के महत्वपूर्ण उपाय सीखे। इसने उन्हें आत्मनिर्भर बनने और अपनी पहचान को सशक्त रूप से स्थापित करने के लिए प्रेरित किया।
ऐसे कार्यक्रम न केवल छात्राओं के आत्मबल को मजबूत करते हैं बल्कि उनके सर्वांगीण विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस कार्यशाला की सफलता ने साबित कर दिया कि “शिक्षा केवल किताबी ज्ञान नहीं, बल्कि जीवन को संवारने और सशक्त बनाने का माध्यम भी है।”